वैद्य जी के बारे में
वैद्य रामकुमार बिन्दल (वैद्याचार्य, एम डी (ए. एम) एवं आयुर्वेद सरस्वती वैद्य शिरोमणी, आयुर्वेद विभूति, आयुर्वेद गौरव की मानद उपाधियां विभिन्न आयुर्वेद की महान संस्थओं द्वारा दी गई है एफ.एन.ए की मानद उपाधि भारत सरकार द्वारा इन्हें प्रदान की गई है यह उपाधि पूरे विश्व के देशों में उच्चतम कोटि के वैज्ञानिको को दी जाती है जो किसी भी विज्ञान में भारी शोघ कार्य करते हैं यह भारत में एक वर्ष में एक विज्ञान के क्षेत्र में पांच वैज्ञाानिकों को दी जाती है।
वैद्य राम कुमार बिन्दल जी की इस समय आयु 72 वर्ष है। आयुर्वेद के प्रकाण्ड पण्डित चिकित्सा में सिद्धहस्थ नब्ज चेहरा व हाथ देखकर रोग निदान करने में माहिर, कैंसर, किडनी फेलियर, हार्ट फेलियर, रसौलियां, सन्धिवात, गठिया, बवासीर, भगन्दर, महिलाओं के कठिन रोग, बन्धयत्व, पुरूषों के रोग, प्रोस्टेट बढ़ना कठिन, चर्मरोग यथा चम्बल, दाद, छाजन, सोराईसिस, फुलबहरी आदि लीवर, तिल्ली के रोग पीलिया, कामला, हलीमक, पाण्डु (Hepatitis A, B, C, D, E) आंतो के रोग, अल्सर, संग्रहणी, रक्तपित्त (कहीं से भी खून गिरना) कठिन सिर दर्द, माईग्रेन, दमा, खांसी, बालों के रोग और बच्चों के रोगों की सफल चिकित्सा करने के लिये प्रसिद्ध हैं। पूरे उतरी भारत से तथा कभी-कभी दक्षिण, पश्चिम व पूर्वी भारत तथा विदेशों से भी उपरोक्त रोगों की चिकित्सा के लिए रोगी आते हैं अर्थात 100 कि मी से लेकर 3000 कि मी तक से रोगी आते हैं, कलीनिक पर भीड़ लगी रहती हैं। गरीबों की चिकित्सा अतीव कम मूल्य पर करते हैं। तीन दिन बुध, वीर व शुक्रवार को ही कलीनिक खोलते हैं। अपनी फार्मेसी में बनाई गई उत्तम औषधियों के कारण चिकित्सा में बड़े अच्छे परिणाम आते हैं। शेष चार दिन समाज सेवा के कार्य में लगाते हैं।
आप विश्व हिन्दू परिषद् के प्रदेश कोषाध्यक्ष व केन्द्रिय प्रन्यासी हैं। देव भूमि सेवा आश्रम, ऑल इण्डिया आयुर्वैदिक कांग्रेस हि.प्र., स्मॉल व माईक्रो इण्डस्ट्रीज़ ऐसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष हैं तथा श्री सनातन धर्म सभा, मन्दिर तथा एस. डी वरिष्ट विद्यालय व अग्रवाल सभा तथा धर्मशाला के अध्यक्ष हैं और अन्य अनेक सेवा कार्यों में तन मन धन से सेवा करते हैं।
आपने व वैद्य रमेश कुमार जी बिन्दल ने मिलकर जड़ी बूटियों की खोज में 30 साल तक जड़ी बूटियां पकने के समय सर्दी व गर्मी के मौसम में 15-15 दिन लगाकर 30,000 किलो मीटर पहाड़ो में घूम घूम कर दुर्लभ, लुप्त हो चुकी व अज्ञात जड़ी बूटियों पर अनथक शोध कार्य किया है। आप हिमालय के वन पर्वतों में 3000 फुट से 15000 फुट तक की ऊँचाई पर गर्मी-सर्दी, वर्षा व बर्फ में भी घूमें हैं और 18 दुर्लभ अज्ञात व कालचक्र की गति में खो चूकी को खोज कर जड़ी बूटियों पर शोध कार्य किया है। हिमालय की जड़ी बूटियों के विशेषज्ञ हैं इसके अतिरिक्त अपनी फार्मेसी में प्रयोग करने व अपनी आयुर्वैदिक की दुकान जो सम्भवतः उत्तरी भारत की आयुर्वैदिक दवाईयों की वैराईटी के हिसाब से सबसे बड़ी दुकान है जहां पर हजारों किस्म की दवाईयां उपलब्ध हैं यहां पर सैंकड़ों वैद्यों के नुस्खे आते हैं यहां पर पहाड़ी व देसी सैंकड़ों जड़ी बूटियां होती हैं इन दोनों वैद्यों को आयुर्वैदिक दवाईयों व जड़ी बूटियों का विस्तृत ज्ञान है।
अनेक आयुर्वैदिक कॉलेजों, आयुर्वैदिक गोष्ठियों, सेमिनारों, राष्ट्रीय व प्रान्तीय कॉन्फ्रैन्सों में लैक्चर देने व क्रियात्मक ज्ञान प्रदान करने के लिए बुलाया जाता है। सरकार की सेवा में रत आयुर्वैदिक चिकित्सकों के रिफ्रैशर कोर्स में लैक्चर हेतू बुलाया जाता है। अनेक आयुर्वैदिक कॉलेजों से छात्रों की कक्षायें अपने प्रौफेसरों के साथ जड़ी बूटियों का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने के लिए आती रहती हैं। जिन्हें जंगलों में ले जाकर प्रत्यक्ष ज्ञान प्रदान करते हैं बिना कुछ छिपाये अपने ज्ञान को समाज कल्याण के लिए वितरित करते रहते हैं। स्नातकोत्तर विद्यार्थी भी ज्ञान प्राप्त करने आते रहते हैं।
डॉक्टर वाई. एस. परमार, वानिकी विश्व विद्यालय नौणी सोलन हि.प्र। (सरकारी) जो कि उत्तरी भारत की जड़ी बूटियों की बड़ी व प्रसिद्ध यूनीवर्सिटी है में जड़ी बूटियों पर राष्ट्रीय व क्षेत्रिय सैमीनार होते रहते हैं देश भर से जड़ी बूटियों के सैकड़ों डॉक्टर व प्रॉफेसर आते है इसमें वैद्य राम कुमार बिन्दल जी को लैक्चर देने के लिए बुलाया जाता है लैक्चरो के पश्चात् प्रश्नोत्तर जड़ी बूटियों के पी.एच.डी. डॉक्टरों द्वारा किये जाते हैं उनके प्रश्नो का समुचित उत्तर दे पाने की क्षमता प्रभु ने हमें प्रदान की है।
हम अनेक आयुर्वैदिक विषयों पर लेख लिखतें रहते हैं जो देश भर की प्रमुख आयुर्वैदिक पत्रिकाओं में सम्मान पूर्वक छापे जाते हैं और अनुरोध कर मंगाए जाते है।
वैद्य राम कुमार बिन्दल जी को भारत सरकार द्वारा आयुर्वेद के डाक्टरों को पढ़ाने हेतु राष्ट्रीय गुरू नियुक्त किया है जिसमें कि सारे भारत से परीक्षा में सफल होने वाले डाक्टरों को देश भर में नियुक्त किए गए बड़े वेद्यों की क्लीनिकों पर क्रियात्मक ज्ञान के लिए भेजा जाता है इन पढ़ने वाले डाक्टरों को व गुरूओं को भारत सरकार वेतन देती है और एक साल पढ़ने के बाद इन डाक्टरों को भारत सरकार एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर डिप्लोमा दिया जाता है। विश्व आयुर्वेद परिषद द्वारा हमारे वृहत ज्ञान के कारण हमारे कार्य इतिहास व महान शोध कार्य का निरिक्षण व परीक्षण कर वैद्य राम कुमार बिन्दल जी आयुर्वेद विभूति के उपाधि से अलंकृत किया गया है।
बाबा रामदेव की पतंजलि योग पीठ द्वारा हमारे शोध कार्यों का गहन अध्ययन करने के बाद वैद्य राम कुमार बिन्दल जी सन् 2010 में आयुर्वेद गौरव की उपाधि से आभूषित किया गया है व इस कार्य हेतु 1 लाख रूपये का चैक भी प्रदान किया गया है। इस कार्य के लिए पतंजलि योग पीठ द्वारा टी.वी. चेनलों पर 2 माह तक विज्ञापन दिया जाता है कि जिन्होंने आयुर्वेद में कम से कम 5 विषयों पर शोध पत्र लिखें हो वे प्रार्थना पत्र भेजे। विस्तृत जांच में पास होने पर उन्हें यह उपाधि दी जाती है। वर्ष में केवल 2-4 विद्वान वैद्यों को ही यह उपाधि दी जाती है।
डा. वाई. एस. परमार वानिकी एवं उद्यान विश्वविद्यालय जिसके बारे में उपर लिखा है ने भी वैद्य राम कुमार बिन्दल जी को प्रकाण्ड विद्वानों की बड़ी सभा में सम्मानित कर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया है। राज्यपाल हिमाचल प्रदेश द्वारा भी उपरोक्त शोध कार्यों के लिए सम्मानित किया गया है। वैद्य राम कुमार बिन्दल जी को अनेकानेक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित किया जाता रहा है जिनके बारे में लिखने से विषय काफी लम्बा हो जाएगा। अतः संक्षिप्त कर दिया गया है।